।। श्रीकृष्णचन्द्राय नमः ।।
भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण एक ही हैं । श्रीरामरहस्य नामक ग्रंथ में ऐसे लोगों को मतिमंद कहा गया है जो रामजी में और कृष्णजी में भेद बताते हैं अथवा मानते है-
रघुपति कृष्ण कृष्ण रघुवीरा । उभय भजन भंजन भव भीरा ।
जो रघुनंद सोई नंदनंदा । उभय भेद भाखत मतिमंदा ।।
[१]
कृष्ण रूप प्रगटे रघुराई ।
दशरथ कौशल्या मन भावन बालकेलि सुख पाई ।।१।।
वीरसेन रत्नालका देवी सोइ सुख हित मन लाई ।
भगति प्रेम सेवा तप कीन्हें दम्पति अति हर्षाई ।।२।।
परमोदार राम प्रभु प्रगटे बोले गिरा सुहाई ।
द्वापर नन्द यशोदा बनिहौ गोकुल गाँव रहाई ।।३।।
तब शिशु रूप प्रगट होइ रहिहौं माता-पिता बनाई ।
ग्यारह बरष बाल सुख दैहों बसौ अमरपुर जाई ।।४।।
धरा द्रोण बसु बने अमरपुर पुनि जन्में जब आई ।
रघुवर कृष्ण रूप तब जनमें घर-घर मोद बधाई ।।५।।
दीन संतोष देवकीनन्दन गए यहि रूप समाई ।
कृष्णचंद्र निज जन मन राखे चरित किए सुखदाई ।।६।।
[२]
चलो मन कालिंदी के तीर ।
रवि तनुजा जल मज्जन कीजे, श्यामल पावन नीर ।।१।।
मन मोहन जहँ गाय चरावत, संग सखा बलवीर ।
वृंदावन सो धाम की महिमा, गावत मुनि मतिधीर ।।२।।
मथुरा, नन्द गाँव बरसाना, गोकुल सुजन सनीर ।
वन उपवन अरु कुंज गलिन में खोजत श्याम शरीर ।।
राधा मोहन रास विहारी, राधारमन मन हीर ।
बांकेबिहारी गिरि गोवर्धन, दर्शन करु धरि धीर ।।३।।
वंशीवट गोपेश्वर आदिक, धरिये व्रज रज सीर ।
दीन संतोष दीन सुखदायक, राधावर यदुवीर ।।४।।
[३]
श्रीकृष्णचंद्र देवकीनन्दन माँ जशुमति के बाल
गोपाल ।
रुक्मणीनाथ राधिकावल्लभ मीरा के प्रभु नटवरलाल ।।१।।
मुरलीधर बसुदेवतनय बलरामानुज कालिय दहन ।
पाण्डवहित सुदामामीत भक्तन के दुख दोष दलन ।।२।।
मंगलमूरति श्यामलसूरति कंसन्तक गोवर्धनधारी ।
त्रैलोक उजागर कृपासागर गोपिन के बनवारि मुरारी ।।३।।
कुब्जापावन दारिददावन भक्तवत्सल सुदर्शनधारी ।
दीनदयाल शरनागतपाल संतोष सुजन अघ अवगुन हारी ।।४।।
[४]
वृंदावनवासी सांवरे मन मोहन मदन गोपाल ।
मथुरा जाए गोकुल आए जशुमति कियो निहाल ।।१।।
घर-घर बाजने सुंदर बाजे सब भए मालामाल ।
देवकीनन्दन जगबन्दन भए नंद बाबा को लाल ।।२।।
गली-गली में नाच नचावैं गोपिन दै-दै ताल ।
माखन खातिर घर-घर डोलत गोपिन ऐंठत गाल ।।३।।
लकुटी लेकर गाय चरावत बड़ा छ्वीलो ग्वाल ।
कामरि वंसुरी सुंदर सोहै तिलक सजीलो भाल ।।४।।
यमुना तीरे कंदुक खेलत संग सखा सब बाल ।
अष्ट सखी संग राधा मोहन लीला करत रसाल ।।५।।
टेढ़ी-टेढ़ी चितवन सोहै टेढ़े टेढ़े बाल ।
टेढ़ी कटि संतोष सुधारत जीवन टेढ़ी चाल ।।६।।
- विनयावली ।
।। श्रीकृष्णचंद्र भगवान की जय ।।