सनातन धर्म में भगवान की कई विशेषताएँ कही गई हैं । इंही में से एक है कि भगवान की न तो मृत्यु होती है और न ही भगवान बूढ़े होते हैं ।
इसका मतलब है जिसकी मृत्यु हो जाए और जो बूढ़ा हो
जाए वह सनातन धर्म के अनुसार भगवान नहीं होता है ।
ग्रंथों में भगवान के बारे में पढ़ा जाए, भगवान की
स्तुति पढ़ी जाए तो यह मिलता है कि आप जरा और मृत्यु से परे हैं । जरा और मृत्यु
भगवान का स्पर्श तक भी नहीं कर सकते आदि ।
जरा और मृत्यु केवल साधारण जीव का स्पर्श करते हैं जैसे
मनुष्य और पशु-पक्षी आदि को भगवान को नहीं ।
स्कंद पुराण, पद्म पुराण, श्री वाल्मीकि रामायण,
श्रीरामचरितमानस आदि में भगवान राम को नित्य और अविनाशी कहा गया है और जरा और
मृत्यु से परे कहा गया है । इसी तरह श्रीमद भागवत पुराण आदि में भगवान श्रीकृष्ण
के लिए भी कहा गया है ।
लेकिन
मूर्खता वश कुछ लोग कहते और समझते हैं कि भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण की
मृत्यु हुई थी । जो कि पूर्णतया गलत है । यह सनातन धर्म के विरुद्ध बात है ।
भगवान
श्रीराम और श्रीकृष्ण के लिए ग्रंथों में कहा गया है कि- जरामृत्यु वर्जितः । इसके
बावजूद भी कुछलोग अनर्गल प्रलाप करते रहते हैं । अनर्गल लिखते,कहते, और
बताते रहते हैं ।
सत्य सनातन
हिंदू धर्म में परमात्मा अजर और अविनाशी होते हैं । भगवान श्रीराम और भगवान
श्रीकृष्ण पूर्ण परमात्मा हैं और अजर हैं, अविनाशी हैं । न इन्हें बुढ़ापा आता है
और न ही इनकी कभी मृत्यु होती है ।
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।। जय श्रीसीताराम ।।
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