कुछ समय पूर्व एक व्यक्ति ने कहा कि मुझे कुछ आपसे पूछना है । जानना है । तो मैंने कहा पूछिए तो वह व्यक्ति बोला कि हमारे यहाँ जो संत जी आते हैं जिनसे हम लोग जुड़े हैं वे बता रहे थे कि ‘राम-राम’ जपने से मुक्ति नहीं मिलेगी । उनका कहना था कि मुक्ति ‘कृष्ण-कृष्ण’ जपने से मिलती है । इस पर आप बताओ कि क्या यह सही है ?
मैंने उनसे कहा कि देश-समाज में ऐसे कई साधु-संत अथवा व्यक्ति घूम रहे हैं जो मूर्खता या अज्ञानता बस लोगों को गुमराह करते हैं । अथवा अपने स्वयं के माने हुए मन-मत को अधिक प्रचारित करने के लिए और उससे लोगों को जोड़ने के लिए ऐसा बोलते और बताते रहते हैं ।
जबकि सही बात तो यह है कि ‘राम-राम’ जपने से भी मुक्ति मिलती है और ‘कृष्ण-कृष्ण’ जपने से भी मुक्ति मिलती है । इसलिए ऐसा कहना, बताना, बोलना और प्रचारित करना कि केवल भगवान कृष्ण का नाम जपने से मुक्ति मिलती है बिल्कुल गलत है । यह गुमराह करना है । मूर्ख बनाना है ।
भगवान के अनंत नाम हैं । जिसमें राम नाम अधिक सरल है और राम नाम भगवान के अनंत नामों में चंद्रमा के समान और अन्य नाम जुगनूँ के समान बताए गए हैं । ऐसा वरदान रामजी ने नारद जी को दिया है । लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि भगवान के अन्य नामों का कोई महत्व नहीं है । भगवान के सभी नाम महत्वपूर्ण हैं । और अपनी-अपनी श्रद्धा और विश्वास के अनुसार भगवान के किसी भी नाम का जप करने से फल मिलता है । मुक्ति मिलती है ।
शस्त्रों के अनुसार तो स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुनजी को राम नाम जपने से मुक्ति का उपदेश दिया है । इसी तरह भगवान वेदव्यास ने युधिष्ठिरजी को राम नाम जपने से मुक्ति का उपदेश दिया है । लेकिन यह शास्त्र मत है । मन-मत नहीं । मन-मत का कुछ नहीं किया जा सकता है ।
समस्या यह है कि यदि शिशु को माता-पिता ही मारना चाहें तो फिर उसे कौन बचायेगा ? यदि साधु-संत ही गुमराह करने लगें तो दूजा कौन सदराह दिखायेगा ? जब गुरू ही उल्टा ज्ञान सिखाने लगे तो सदज्ञान कहाँ से मिलेगा ? कौन देगा ? कराल कलिकाल है और कुएं में ही भांग पड़ी हुई है । ऐसे में लोगों को कौन बचा सकता है-
जब मातु-पिता शिशु मारन
चाहैं तो दूजा शिशु को कौन बचाए ।
जब साधु संत गुमराह करैं
तो दूजा कौन सदराह दिखाए ।।
जब गुरू ही उल्टा ज्ञान सिखाये
तो दूजा कौन सदज्ञान बताए ।
यह कलिकाल बडो विकराल जब कूप में भांग तो कौन बचाए ।।
।। जय श्रीराम ।।
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