अनके देवता हैं, भगवान के भी कई स्वरूप हैं लेकिन क्या कोई भगवान
राम जैसा सरल, कृपालु, दयावान और उदार है ? रामजी के जैसा अकारण कृपा करने वाला कौन
है ? जो दीन-हीनों, कायरों, क्रूरों, कपूतों को भगाता नहीं बल्कि बुलाकर सम्मान करता
हो ऐसा दूसरा कौन है ?
गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज कहते हैं कि मैंने सबके जी की थाह
ले ली है । चाहे कोई भू लोक का पालन करने वाला हो, चाहे कोई सर्प लोक का पालन करने
वाला हो, चाहे कोई स्वर्ग का पालन करने वाला हो और चाहे कोई लोकपाल ही क्यों न हो
सबके सब ‘कारण कृपालु’ हैं ।
अर्थात हर कोई किसी न किसी कारण से ही कृपा करता है । और इतना ही नहीं कायरों और गुनहीनों का आदर कोई कहीं नहीं करता । सबको चतुर-दक्ष और खुब कार्य करने वाला सेवक चाहिए ।
गोस्वामीजी कहते हैं कि मैं सच्चे भाव से से सच्ची बात कह रहा
हूँ कोई पक्षपात पूर्ण बात नहीं कह रहा हूँ अर्थात कोई भी सोच विचाकर देख सकता है और इस
निष्कर्ष पर पहुँच सकता है कि आज तक कोई देवी-देवता और भगवान ऐसा नहीं हुआ जो वानर
और भालुओं को भी अपना खास सेवक बना लिया हो और उन्हें महल के भीतर की भी सेवा दे
दी हो ।
केवल और केवल भगवान राम ही ऐसे हैं । जिन्होंने वानरों और
भालुओं का भी सत्कार किया है, उन्हें अपनाया है, उन्हें अपना मित्र बनाया है ।
ऐसी रीति और परंपरा तो एक मात्र राम जी के दरवाजे पर ही है
जहाँ पर मेरे जैसे दीन-हीन-दुर्बल, कायर, क्रूर और कपूत और कलह-लड़ाई-झगड़ा करने
वालों का भी बुलाकर सम्मान किया जाता है । इसलिए ही तो निषाद, केवट, कोल, भील,
किरात, वानर भालू ,गीध आदि सब रामजी के द्वारा सम्मानित हुए है । रामजी ने इन सभी
को अपनाया है और अपना मित्र बनाया है क्योंकि एक मात्र रामजी ही रामजी जी के जैसे अकारण
कृपा करने वाले, परम कृपालु और परम उदार हैं ।
तुलसी सुभाय कहै नाहीं कछु पक्षपात
कौन ईस किए कीस भालु खास माहली ।
राम ही के द्वारे पे बुलाय सनमानियत
मोसे दीन-दूबरे कपूत कूर काहली ।।
।। जय श्रीराम ।।
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