गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज सनातन परंपरा के प्रसिद्ध संत हैं । श्रीतुलसीदासजी महाराज भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त थे । और गोस्वामी तुलसीदासजी स्वयं श्रीराम लीला का आयोजन करवाते थे । कहा जाता है कि बनारस में जिस स्थान को आज लंका नाम से जाना जाता है वहाँ गोस्वामी जी के श्रीराम लीला की लंका हुआ करती थी । इस कारण से वह स्थान लंका के नाम से जाना जाने लगा । और आज भी उसे लंका कहा जाता है । और यह स्थान बनारस का बहुत ही प्रसिद्ध स्थान है ।
धारावाहिक के माध्यम से श्रीराम कथा का प्रसारण श्रीराम लीला का ही परिष्कृत और आधुनिक रूप है । और गोस्वामीजी स्वयं रामलीला के मंचन के समर्थक थे । इस विचार से धार्मिक धारावाहिक बनने चाहिए बस तथ्यों से छेड़छाड़ नहीं होना चाहिए । और यहाँ हम यह बताना चाहते हैं कि वृहद उत्तर रामायण पर एक धारावाहिक की जरूरत है ।
यदि लोगों
से एक प्रश्न पूछा जाय कि भगवान राम के यज्ञ का घोड़ा किसने पकड़ा था ? तो सामान्यतया अधिकांश लोगों का एक ही जबाब
होगा- लव कुश ने । क्योंकि लोगों में जानकारी का अभाव है ।
उत्तर रामायण की कथा बहुत ही विस्तृत और भक्ति, ज्ञान और वैराग्य से परिपूर्ण है । भगवान श्रीराम के यज्ञ के घोड़े को कुछ अन्य राजाओं ने भी पकड़ा था । और ग्रंथों में इसका विस्तृत वर्णन है । भगवान शंकर जी भी अपने एक भक्त राजा की तरफ से अपने गणों की सेना लेकर युद्ध करने आते हैं । हनुमानजी और शंकरजी का भी युद्ध होता है । अंत में स्वयं भगवान श्रीराम को युद्ध क्षेत्र में आना पड़ता है । लेकिन भगवान श्रीराम के आने पर कोई युद्ध नहीं होता है । भगवान शंकरजी और राजा भी भगवान श्रीराम को साष्टांग प्रणाम करते हैं और राजा यज्ञ के घोड़े को छोड़ देता है । सभी लोग भगवान श्रीराम का दर्शन करके धन्य हो जाते हैं ।
पाताल लोक
में रहने वाले रावण के मित्र राक्षसों ने भी घोड़े को पकड़ा था । भरतजी के पुत्र पुष्कलजी घोड़े की रक्षा के लिए शत्रुघ्नजी
के साथ गए थे । और इन्होंने बहुत अतुलित पराक्रम दिखाया था ।
असम में स्थित माता कामाख्या की कथा भी रामायण से जुड़ती है । ऋषि च्यवन, ऋषि अरण्यक आदि की कथा भी उत्तर रामायण में आती है । भगवान राम की महिमा का सुंदर वर्णन आता है ।
इस प्रकार उत्तर रामायण की कथा बहुत विस्तार युक्त है । और इस पर एक अच्छा और बड़ा धारावाहिक-वृहद उत्तर रामायण बनाया जा सकता है । जो वर्षों तक प्रसारित हो सकता है ।
इस धारावाहिक से समाज में जागरूकता बढ़ेगी और उत्तर रामायण के महत्वपूर्ण कथाओं को देखने और समझने तथा जानने का अवसर मिलेगा ।
।। जय श्रीसीताराम ।।
बहुत सही जानकारी है । ���� बनना ही चाहिए ।
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