भगवान साकार हैं अथवा
निराकार ? कोई कहता है कि भगवान निराकार हैं । कोई कहता हैं कि भगवान
साकार हैं । कोई कहता है कि भगवान साकार
और निराकार दोनों हैं ।
अब प्रश्न यह है कि सही कौन है ? सही वही है जो यह समझता और मानता है कि भगवान
साकार और निराकार दोनों हैं ।
गोस्वामी तुलसीदास जी के अनुसार साकार और निराकार
में भेद नहीं है । दोनों एक ही हैं । क्योंकि जो साकार है वह निराकार भी है । और
जो निराकार है वह साकार भी है ।
इसे हम निम्नलिखित उदाहरण से समझा रहे हैं ।
हम लोग
क्या हैं ? साकार अथवा निराकार । वर्तमान में हम सभी लोग साकार हैं । लेकिन थोड़ा
पीछे जाइए । जन्म से पहले की बात जरा ध्यान से सोचिए । माता के गर्भ में आने से थोड़ा और पहले क्या हम साकार थे ? नहीं थे । उस समय हम सभी निराकार थे । साकार तो बाद में
बने हैं ।
अतः स्पष्ट है कि जो साकार है वह निराकार भी है । और जो निराकार है वह साकार भी है । यही बात गोस्वामी तुलसीदासजी ने श्रीरामचरितमानस जी में समझाया है ।
अतः इस बात का कोई झगड़ा नहीं है कि भगवान साकार
हैं अथवा निराकार । भगवान साकार भी हैं और निराकार भी हैं । रामजी के दो स्वरूप
हैं एक साकार रामजी और दूसरे निराकार रामजी ।
गर्भ में आने से थोड़ा और पूर्व जीव निराकार रामजी का अंश होता है और गर्भ में आकर साकार रामजी का अंश बन जाता है । रामजी हमारे अंशी हैं और हम सब रामजी के अंश हैं ।
चूँकि हमारे रामजी निराकार भी हैं और साकार भी
इसलिए हम सभी निराकार भी हैं और साकार भी । अतः हम सब भी निराकार से ही साकार हुए हैं
। ठीक इसीतरह मेरे रामजी निराकार से साकार हो जाते हैं ।
अतः कोई भ्रम नहीं पालना चाहिए । भगवान के भी दो स्वरूप हैं और हम सभी के भी दो स्वरूप हैं क्योंकि भगवान राम हमारे अंशी हैं और हम सभी भगवान राम के अंश हैं ।
।। जय श्रीसीताराम ।।
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