हनुमानजी महाराज खोज करने में बहुत कुशल हैं । इसलिए हनुमानजी को- अन्वेषण पंडित अर्थात अनुसंधान-खोज का पंडित कहा जाता है ।
माता सीता
का अन्वेषण करना हुआ तो लंका जाकर सीताजी की खोज करने में और दूसरा कोई कुशल नहीं
था । सभी स्थितियों और परिस्थितियों को समझकर उनसे निपटने के लिए धैर्य, साहस,
विद्या, वुद्धि और बल आदि की जरूरत होती है । और हनुमान जी में ये सभी गुण हैं ।
इसलिए हनुमानजी महाराज माता सीता की खोज करने में सफल हुए । इस कारण से संत, भक्त
और ग्रंथ हनुमानजी को सीतान्वेषण पंडित भी कहते हैं ।
ठीक इसी तरह से जब अहिरावण भगवान श्रीराम और भैया
लक्ष्मण को लेकर पाताल चला गया तो बड़ी असमंजस की स्थिति बन गई । किसी को भी कुछ
समझ नहीं आ रहा था कि रामजी और लक्ष्मणजी कहाँ चले गए । ऐसी स्थिति में रामजी और
लक्ष्मणजी का अन्वेषण करने में कोई अन्य कुशल नहीं था । अन्वेषण पंडित हनुमानजी
महाराज ने रामजी और लक्ष्मणजी की खोज करने में सफल हुए ।
जब लक्ष्मण जी को वीरघातिनी शक्ति लगने से मूर्छा
हुई तो पहले लंका में सुषेन वैद्य की खोज करना था और फिर हिमालय पर संजीवनी बूटी
की । इसमें भी हनुमानजी महाराज सफल हुए और लक्ष्मणजी की मूर्छा दूर हुई ।
एक कथा के अनुसार जिस वाण के लगने से रावण की मृत्यु होनी थी उस वाण को तपस्या करके रावण व्रह्माजी से ले आया था । और लंका में अपने महल के एक खंभे के अंदर रखवा दिया था । इस रहस्य को केवल रावण और मंदोदरी जानते थे । अन्वेषण पंडित हनुमानजी महाराज इस वाण की खोज करने में भी सफल हुए थे ।
इस प्रकार हनुमानजी महाराज खोज करने में बहुत कुशल हैं । और इसलिए ये अन्वेषण पंडित हैं । अनुसंधान पंडित हैं ।
।। अन्वेषण पंडित हनुमानजी की जय ।।
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