कई लोगों के मन में यह शंका रहती है कि स्त्रियों
को हनुमानजी की पूजा करनी चाहिए अथवा नहीं ।
लेकिन इसमें शंका की कोई बात नहीं है । स्त्रियाँ
भी हनुमानजी की पूजा कर सकती हैं । स्त्री और पुरुष दोनों को बस पवित्रता का ध्यान
रखना चाहिए ।
मंदिर के
गर्भ गृह में किसी को भी नहीं जाना चाहिए । न स्त्री को और न ही पुरुष को । गर्भ
गृह में सामन्यतया केवल पुजारी को जाना चाहिए । तथा मंदिर में विराजमान विग्रह का
स्पर्श भी सामन्यतया पुजारी को करना चाहिए ।
भगवान की
पूजा दूर से ही करें तो अच्छा है । भोग दूर से ही लगाएँ तो अच्छा है । कई लोग मुँह
में भर देने को ही भोग लगाना समझते हैं । और इसलिए कई मंदिरों में ऐसा दिखता भी है
। जबकि भाव से दूर से ही भोग अर्पित कर देना चाहिए । भगवान भाव के ही भूंखे होते
हैं । मुँह में डालने की कोई जरूरत नहीं रहती ।
कई लोगों के मन में यह रहता है कि हनुमानजी बाल
व्रह्मचारी हैं इसलिए हनुमानजी की पूजा स्त्रियों को नहीं करना चाहिए । तो यह गलत
धारणा है । भक्ति और भाव होने पर कोई भी हनुमानजी का पूजा कर सकता है ।
एक पौराणिक कथा का उल्लेख करके इस लेख का समापन कर
रहे हैं ।
भगवान राम अश्वमेध यज्ञ कर रहे थे । हनुमानजी
महाराज यज्ञ के घोड़े के साथ गए हुए थे । इस दौरान एक ऋषि और उनकी पत्नी वन में
हनुमानजी को मिलीं । जो रामजी का दर्शन करना चाह रहे थे । लेकिन इतनी दूरी यात्रा
करने में समर्थ नहीं थे । इसलिए हनुमान जी ने अपने एक कंधे पर ऋषि को और दूसरे
कंधे पर उनकी पत्नी को बैठा लिया । और भगवान राम के दर्शन करा दिए ।
ऐसे में यह कहना कि स्त्रियों को हनुमान जी की
पूजा नहीं करनी चाहिए तर्क संगत नहीं है ।
।। जय श्रीहनुमानजी ।।
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