भगवान विष्णु, भगवान शंकर, भगवान व्रह्मा और भगवान कृष्ण आदि सभी राम नाम की महिमा गाते हैं ।
राम नाम के बल पर व्रह्माजी सृष्टि करते हैं,
विष्णुजी पालन करते हैं और शंकरजी संहार करते हैं । रामनाम के बल पर ही शंकरजी काशी में सबको परम गति
देते हैं –‘जासु नाम बल शंकर काशी । देहिं सबहिं सम गति अविनाशी ।।
जब लंका में भगवान राम ने अपना अद्भुत विराट
स्वरूप दिखलाया तो व्रह्माजी, विष्णुजी और शंकरजी समेत सभी देवताओं ने भगवान राम की
स्तुति किया । और भगवान विष्णु भी राम नाम के परायण होकर अपने लोक को चले गए ।
एक बार युधिष्ठिर जी ने भगवान व्यास से पूछा कि
मुक्ति का सर्वोतम साधन क्या है ? भगवान व्यास ने बताया कि ‘श्रीराम’ परम उत्तम जपनीय मंत्र है । 'श्रीराम राम' सतत जपने
से मुक्ति अवश्य प्राप्त हो जाती है । इसमें संदेह नहीं है ।
एक बार अर्जुन जी ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा कि हे भगवन ! कल्याण का कोई परम उत्तम और सरल साधन बताने की कृपा करें । तब भगवान श्रीकृष्ण
ने राम नाम की बड़ी अद्भुत महिमा गाई । भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि हे अर्जुन ‘राम-राम’
जपना सर्वोत्तम और सरल साधन है । यह बड़ा ही कल्याणकारी है । इससे सभी मनोकामनाएँ
पूरी हो जाती हैं । सभी पुण्य सहज ही सुलभ हो जाते हैं, सभी पाप दूर हो जाते हैं और
मुक्ति मिल जाती है ।
इस प्रकार हर कोई- संत, सदग्रंथ, देवता और भगवान सभी राम नाम की महिमा गाते हैं । धन्य हैं वे सभी लोग जो राम परायण होकर रहते हैं-
राम नाम कर अमित प्रभावा । संत पुराण उपनिषद गावा ।।
।। जय श्रीराम ।।
जय श्रीराम
जवाब देंहटाएंजय श्रीराम
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