कई लोग अज्ञानता बस समझते हैं कि भगवान का शरीर भी पंच तत्वों से ही मिलकर बना होता है । जो कि पूर्णतया गलत है । साधारण जीव जैसे मनुष्य, पशु, पक्षी आदि का शरीर तो पंच तत्वों से मिलकर बना होता है लेकिन भगवान का नहीं ।
‘छिति जल पावक गगन समीरा ।
पंच रचित अति अधम शरीरा ।। यह केवल साधारण जीवों के लिए है । भगवान के लिए यह सत्य नहीं है ।
फिर भी कुछ लोग प्रचारित करते हैं कि जब भगवान श्रीकृष्ण ने देह छोड़ा तो उनका
अंतिम संस्कार किया गया था और उनके शरीर के पंच तत्व, पंच तत्वों में मिल गए थे ।
यह अशास्त्रीय है । यह मनगढंत बात है । भगवान श्रीकृष्ण का न तो अंतिम संस्कार
किया गया था और न ही उनका शरीर पंच तत्वों से निर्मित था । लेकिन यह कलियुग है
इसमें अशास्त्रीय बातों को फ़ैलाने वाले भरे पड़े हैं ।
भगवान के
ऊपर जीवों के गुण-धर्म नहीं लगते । संसार के नियम नहीं लगते । भगवान संसार के
नियमों से, संसार से परे होते हैं । भगवान की न तो मृत्यु होती है और न ही उनका
अंतिम संस्कार किया जाता है । भगवान केवल लीला संवरण करके अपने धाम को चले जाते
हैं । भगवान श्रीराम की तरह ही भगवान श्रीकृष्ण भी अपनी प्रत्यक्ष लीला समाप्त करके
अपने धाम को चले गए थे ।
भगवान के शरीर से जीवों के शरीर की भांति दुर्गंध
नहीं आती । क्योंकि उनका शरीर पंच तत्वों से मिलकर नहीं बना होता है । मांस, मज्जा
आदि भगवान के शरीर में नहीं होते हैं । जैसे भगवान श्रीराम का शरीर चिदानंद मय है -‘चिदानंद
मय देंह तुम्हारी’ ठीक इसी तरह भगवान श्रीकृष्ण का शरीर भी चिदानंद मय है ।
इसप्रकार ‘पंच रचित अति अधम शरीरा’ यह केवल
जीवों के लिए और ‘चिदानंद मय देंह तुम्हारी’ केवल भगवान के लिए है । अतः यह
समझना, कहना, बताना अथवा प्रचारित करना कि भगवान का शरीर भी पंच तत्वों से निर्मित
होता है अथवा भगवान की मृत्यु होती है और उनका अंतिम संस्कार किया जाता है
अशास्त्रीय है ।
।। जय श्रीसीताराम ।।
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