श्रीराम नवमी की महिमा वेद-पुराण और सुर, नर, मुनि सभी गाते हैं । वेद गाते हैं कि श्रीराम नवमी के दिन सभी तीर्थ अयोध्या जी में चले आते हैं । सारे तीर्थ अयोध्या जी में आकर भगवान राम के जन्म महोत्सव में शामिल होते हैं । ऐसा प्रत्येक वर्ष होता है ।
इतना ही नहीं प्रत्येक वर्ष श्रीराम नवमी को अयोध्याजी में राक्षस भी आते हैं, नाग आते हैं , मनुष्य आते हैं , पक्षी आते हैं, मुनि आते हैं और देवता भी आते हैं । अयोध्या जी में आकर ये सब रघुकुल श्रेष्ठ भगवान राम की सेवा करते हैं । ऐसा वेद भगवान स्वयं गाते हैं । बताते हैं ।
वुद्धिमान लोग श्री राम जन्म महोत्सव का आयोजन करते हैं । और भगवान राम के परम सुंदर और पावन चरित्र-कीर्ति का गायन करते हैं ।
अयोध्या जी में बहुत पवित्र सरयू जी बहती हैं । जिनकी अनंत महिमा है । इनकी महिमा का गायन विमल वुद्धि वाली सरस्वती जी भी नहीं कर सकती हैं । वेद-पुराण कहते हैं कि सरयू जी का दर्शन, स्पर्श, स्नान और जलपान पापों का हरण करता है ।
श्रीराम नवमी (चैत्र-मधु मास के शुक्ल पक्ष की नवमी) को सज्जन लोगों के बहुत से समूह पावन सरयू जी में स्नान करते हैं और ह्रदय में सांवले सलोने रामजी का ध्यान करते हुए राम नाम का जाप करते हैं । इस प्रकार सज्जन लोग श्रीराम जन्म महोत्सव मनाते हैं-
जेहि दिन राम जनम श्रुति गावहिं ।
तीरथ सकल यहाँ चलि आवहिं ।
असुर नाग खग नर मुनि देवा ।
आइ करहिं रघुनायक सेवा ।।
जन्म महोत्सव रचहिं सुजाना ।
करहिं राम कल कीरति गाना ।।
मज्जहिं सज्जन वृंद बहु,
पावन सरजू नीर ।
जपहिं राम धरि ध्यान उर,
सुंदर श्याम शरीर ।।
श्रीराम नवमी के दिन केवल दोपहर तक व्रत न रखकर पूरे दिन व्रत रखना चाहिए, अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करें-
श्रीराम नवमी को पूरे दिन व्रत रखने का पुण्य फल
।। श्रीराम जन्म महोत्सव
की जय ।।
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