आज यानी चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के नवमी तिथि को राजा दशरथ के चार पुत्र हुए हैं, सुनकर कोसलपुर में महामंगल हो रहा है । घर-घर में सुंदर-सुहावने सोहर (मंगल गीत) गाए जा रहे हैं । और आकाश में तथा नगर में बाजने-नगाड़े आदि बजाए जा रहे हैं ।
भगवान श्रीराम के जन्म के समय देवता, किंनर और
मुनि अपने-अपने यान सजा-सजाकर आए और भगवान के गुण-गणों का गायन करने लगे । आकाश
में प्रसन्नचित होकर अप्सराएँ नृत्य कर रही हैं और बार-बार चुने हुए पुष्पों की
वर्षा कर रही हैं ।
राजा दशरथ अति आनंदित होकर जल्दी से गुरू और
व्राह्मणों को बुलाकर भवन के अंदर गए । और पुत्रों का जातिकर्म संस्कार करके
सुवर्ण, वस्त्र, और मणियों से सजी हुई गौओं के समूह दान दिए ।
युवतियाँ थाल भर-भर कर दल, फल, फूल, दूब, दही,
रोली आदि मांगलिक चीजें लेकर गीत गाती हुईं चलीं जिससे अवध की गलियों में भीड़ हो
गई । बंदी जन महाराज दशरथ के वंश का अनोखा यश गा रहे हैं ।
जहाँ-तहाँ सुवर्ण कलश, चवँर,पताका और ध्वजा तथा
नई-नई बंदनवारे लगाई गई हैं । सभी लोग एक रंग में रंगे हुए अबीर उड़ा रहे हैं और
अरगजा छिड़क रहे हैं ।
तीनों
लोकों में आनंद उमड़ चला है । आनंद में भरे हुए सभी लोग अन-धन लुटाकर अपने घर खाली
कर दिए, परंतु गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज कहते हैं कि भगवान राम की कृपा भरी
दृष्टि पड़ते ही सबके घर पूर्ववत भरे ही दिखाई पड़ रहे हैं ।
इसप्रकार तीनों लोकों में राम जन्म महामहोत्सव
मनाया जा रहा है । तीनों लोकों में आनंद उमड़ रहा है-
आजु महामंगल कोसलपुर सुनि
नृप के सुत चारि भए ।
सदन-सदन सोहिलो सोहावनो,
नभ अरु नगर निसान हए ।।
सजि सजि जान अमर किंनर
मुनि जानि समय सम गान ठए ।
नाचहिं नभ अप्सरा मुदित
मन, पुनि पुनि बरषहिं सुमन चए ।।
अति सुख बेगि बोलि गुरू
भूसुर भूपति भीतर भवन गए ।
जातकरम करि कनक, बसन,
मनिभूषति सुरभि-समूह दए ।।
दल-फल-फूल, दूब-दधि-रोचन,
जुवतिन्ह भरि भरि थार लए ।
गावत चलीं भीर भइ बीथिन्ह, बन्दिंह बाँकुरे बिरद बए ।।
कनक-कलस, चामर-पताक-धुज,
जँह तँह बंदनवार नए ।
भरहिं अबीर, अरगजा
छिरकहिं, सकल लोक एक रंग रए ।।
उमगि चल्यौ आनंद लोक
तिहुँ, देत सबनि मंदिर रितए ।
तुलसिदास पुनि भरेइ देखियत, रामकृपा चितवनि चितए ।।
श्रीराम नवमी महामहोत्सव महिमा: लोग तीर्थों में और तीर्थ अयोध्या जी में पवित्र होने आते हैं
श्रीराम नवमी को निराहार व्रत और रात्रि जागरण की महिमा और पुण्य-फल
।।श्रीराम जन्म
महामहोत्सव की जय ।।
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