रामायण जी के सुन्दरकाण्ड की कथा बहुत प्रसिद्ध है
। लोग सुन्दरकाण्ड की कथा से भलीभाँति परिचित हैं । क्योंकि लोग सुन्दरकाण्ड का
पाठ भी करते हैं और सुन्दरकाण्ड की कथा भी सुनते हैं ।
मेघनाद ने जब हनुमानजी को बाँधने के लिए
व्रह्मास्त्र का प्रयोग किया तो हनुमानजी ने बंधना स्वीकार कर लिया । यह कथा सबको
पता है ।
भगवान श्रीराम के कार्य की सिद्धि के लिए हनुमानजी
ने बाँधा जाना स्वीकार किया था । क्योंकि हनुमानजी को इसी बहाने रावण के दरबार में
पहुँचना था । और रावण को संदेश देना था । रावण को भगवान राम की महिमा से अवगत
कराना था । और जो लंका काल के लिए भी अगम थी उसे जलाना था । शायद रावण सही रास्ते
पर आ जाय इसके लिए प्रयास करना था । इसलिए हनुमानजी बँध गए थे ।
राजा सुरथ के साथ हुए युद्ध में राजा सुरथ ने
हनुमानजी को बाँधने के लिए बहुत प्रयास किया । कई दिव्यास्त्रों का प्रयोग किया ।
लेकिन हनुमानजी बंधन में नहीं आए । तब राजा सुरथ ने व्रह्मास्त्र का प्रयोग किया ।
लेकिन हनुमानजी ने तुरंत व्रह्मास्त्र को निगल लिया ।
इस प्रकार जब भगवान जैसी लीला करना चाहते हैं वैसी
ही लीला करते हैं । मेघनाद ने व्रह्मास्त्र चलाया तो हनुमानजी बंधन में आ गए ।
लेकिन जब राजा सुरथ ने व्रह्मास्त्र चलाया तो हनुमानजी ने व्रह्मास्त्र को ही निगल
लिया ।
इस लीला में जब राजा सुरथ ने रामास्त्र का प्रयोग
किया तब ही हनुमानजी बंधन में आए थे । बाद में भगवान श्रीराम ने स्वयं पहुँचकर
हनुमान जी को बंधन से मुक्त कराया था ।
।। जय श्रीहनुमानजी ।।
जय श्री राम जी,
जवाब देंहटाएंकृपया राजा सुरथ और हनुमान जी और श्री राम जी की ये कथा भी सुनाएं,बड़ी कृपा होगी आपकी,
जय श्री राम,
राम राम जी,
जवाब देंहटाएंठीक है ।।
।। जय श्री राम ।।