भगवान के कई अवतार हुए हैं । लेकिन भगवान श्रीराम का अवतार ऐसा अवतार था जिसमें कई चीजें पहली बार हुई थी । जैसे इसके पहले भगवान चार रूपों में एक साथ यानी चतुर्व्यूह रूप में कभी अवतरित नहीं हुए थे ।
राम, भरत, लक्ष्मण और सत्रुहन चार रूपों में एक साथ भगवान पहली
बार त्रेता में अवतरित हुए थे । इस समय सभी देवता, मुनि, नाग, यक्ष, गंधर्व, किंनर
आदि भगवान की स्तुति करने आए । दशों दिशाओं प्रसन्न थीं । आनंद और हर्षोल्लास का
माहौल था ।
भगवान श्रीराम के
प्रागट्य महोत्सव एक महीने तक चला जिसमें सुर, नर, मुनि, नाग आदि सभी सम्मिलत थे ।
सबको अपने जीवन को सार्थक करने का मौका मिला था । और सबने यथा संभव अपने जीवन को
सार्थक भी किया था ।
तभी से जब-जब श्रीराम नवमी का पवित्र समय आता है भक्त जन
श्रीराम जन्म महामहोत्सव मनाते हैं । ग्रंथ और संत बताते हैं कि आज भी श्रीराम
नवमी के दिन बड़े-बड़े देवता, यक्ष, गंधर्व, मुनि राक्षस आदि अयोध्या जी में आते हैं
और श्रीराम नवमी महोत्सव में सम्मिलित होकर अपने जीवन को धन्य करते हैं ।
इस दिन सारे तीर्थ भी
अयोध्या जी में आ जाते हैं । इसलिए इस दिन सरयूजी में स्नान का फल और अधिक हो जाता
है ।
इस प्रकार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि जैसे-जैसे
नजदीक आती जाती है मनुष्य, देवता, मुनि, गंधर्व, नाग आदि हर किसी का मन यही कहने
लगता है-
चलो मन अयोध्या सरजू तीर ।
दरश परस मज्जन सुखदायक, पापविमोचन नीर
।।१।।
भरत लखन रिपुसूदन सोहत, बिहरत जँह रघुवीर ।
कर सर चाप मुकुट मणि धारे, सुंदर
श्याम शरीर ।।२।।
कनक भवन प्रभु दर्शन कीजे, धरिये अवध
रज सीर ।
सुर नर मुनि परसत रज पावन, करत दरश
मतिधीर ।।३।।
हनुमान गढ़ी की सुंदर शोभा, निरखत मेटत
पीर ।
दीन संतोष सियावर राघव, हरत सकल जन
भीर ।।४।।
और सभी लोग जन्म
महोत्सव में भाग लेकर अपने-अपने धाम को अपने-अपने भाग्य की सराहना करते हुए चले जाते हैं ।
।। श्रीराम नवमी महामहोत्सव की जय ।।
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