हे दीनों के दुखों को हरने वाले भगवान श्रीराम आपकी जय हो । आप बड़े सरल, सबल अर्थात सब कुछ करने में समर्थ , बड़े सुंदर और सुख देने वाले हो । साधु-भक्त जन, संत जन और देवताओं को दुखी देखकर आपने दुष्टों को अर्थात ताड़का, सुबाहु, मारीच, खर, दूषण, त्रिशिरा, रावण कुम्भकर्ण आदि को यह सोचकर कि ये लोग यहाँ रहकर अधर्म के रास्ते पर चलकर लोगों को दुख ही पहुँचायेंगे, अपने धाम में भेज दिया । इस प्रकार आप दुष्टों का भी हित करने वाले हो ।
आप रोग, दोष, दुख और
संकट-भव संकट आदि दूर करके सखा-सुमिरन भजन करने वालों को, देवताओं, और साधुओं को
सुखी करते हो । आप दया क्षमा, करुणा आदि गुणों से भरे हैं । आप दीन मलीनों की
बिगड़ी सुधार कर उनकी रक्षा करते हो, उन्हें अपने धाम में बसा लेते हो-
।। श्रीसीतारामाभ्याम नमः ।।
।। जय श्रीराम दीन दुख हारी
।।
जय श्रीराम दीन दुख हारी ।
सरल सबल सुंदर सुखकारी
।।१।।
साधु संत सुर देखि दुखारी ।
पठए धाम खलहुँ हितकारी
।।२।।
रोग दोष दुख संकट टारी ।
करत सखा सुर साधु सुखारी
।।३।।
दया क्षमा करुणा गुन भारी ।
राखत दीन मलीन सुधारी ।।४।।
चरन शरन तजि कहौं विचारी ।
नहि गति और रघुवीर खरारी
।।५।।
सीतानाथ धीर व्रत धारी ।
जन दुख तम रघुनाथ तमारी
।।६।।
जेहि गुन शील महाखल भारी ।
राखे राघव अवध विहारी ।।७।।
सोइ गुन शील वेगि चित धारी
।
करुणासागर लेहु निहारी
।।८।।
सीताराम पिता महतारी ।
नहि दूजी प्रभु आस तुम्हारी
।।९।।
राम दीन संतोष गोहारी ।
राखउ आरतपाल उबारी ।।१०।।
।। दीन दुख हारी भगवान
श्रीराम की जय ।।
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