यह कथा बड़ी प्रसिद्द है कि वाणासुर भगवान शंकर जी का बड़ा भक्त था । और वाणासुर को लेकर महादेव शंकर जी का भगवान श्रीकृष्ण से युद्ध हुआ था । इसी तरह भगवान विष्णु और शंकर जी के बीच युद्ध की कथा प्रसिद्द है ।
लेकिन श्रीपद्म पुराण
के अनुसार शंकर जी का भगवान राम से युद्ध नहीं हुआ ।
चित्रकूटजी के परम प्रसिद्ध संत श्रीतुलसीपीठाधीश्वर जगतगुरु जी
ने भी कई बार इस बात का उल्लेख किया है कि
शंकर जी का और भगवान राम का कभी युद्ध नहीं हुआ है ।
राजा वीरमणि के प्रसंग में भी पद्मपुराण के अनुसार शंकरजी और
भगवान श्रीराम के बीच युद्ध नहीं हुआ था । गीता प्रेस से प्रकाशित पद्म पुराण में
स्पष्ट वर्णन है कि राजा वीरमणि के प्रसंग में शंकरजी का भगवान श्रीराम की सेना के
साथ तो युद्ध हुआ था लेकिन भगवान श्रीराम के साथ युद्ध नहीं हुआ था । गीता प्रेस
से प्रकाशित पद्म पुराण में इस प्रसंग का एक चित्र भी दिया गया है जिसमें भगवान
शंकर जी राम जी को साष्टांग प्रणाम कर रहे हैं ।
वहाँ वर्णन मिलता है
कि जब राम जी युद्ध क्षेत्र में पधारते हैं तो भगवान शंकर जी राम जी को साष्टांग प्रणाम
करते हैं और राजा वीरमणि भी अपने पुत्रों सहित रामजी के चरणों में नतमस्तक होकर
युद्ध विराम कर देता है । क्योंकि सबकी एक मात्र इच्छा यही रहती है कि भगवान राम
का दर्शन हो जाए । और दर्शन मिलते ही युद्ध की आवश्यकता समाप्त हो जाती है ।
इस प्रकार महादेव शंकरजी का भगवान विष्णु के साथ और भगवान
श्रीकृष्ण के साथ तो युद्ध हुआ है । लेकिन श्रीपद्म पुराण के अनुसार राजा वीरमणि
के प्रसंग में भी शंकरजी और रामजी का युद्ध नहीं हुआ था ।
कुल मिलाकर कम से कम
एक जगह ऐसा प्रमाण मिलता है कि शंकरजी और भगवान श्रीराम के बीच युद्ध नहीं हुआ है ।
जबकि शंकरजी का भगवान विष्णु और भगवान श्रीकृष्ण के साथ युद्ध हुआ है ।
।। जय श्रीराम ।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें