भगवान के नाम की महिमा ग्रंथों में भरी पड़ी है । भगवन्नाम की
बड़ी महिमा है भगवन्नाम की बड़ी प्रतिष्ठा है । साधु-संत भी भगवन्नाम की महिमा गाते
और बताते रहते हैं ।
भगवान के असंख्य
नामों में से राम नाम बड़ा ही सरल, सहज और प्रभावशाली है । राम नाम के जप से भगवान
राम, भगवान कृष्ण, भगवान विष्णु आदि जिनको चाहो उनकी भक्ति करके उन्हें प्राप्त
किया जा सकता है ।
भगवान के किसी नाम का
जप किया जाय तो जापक (जपने वाले) के भीतर नाम की प्रतिष्ठा का क्या मतलब होता है ?
कई लोग माला का
प्रयोग करके जप करते हैं । और आजकल कई लोग इलेक्ट्रोनिक काउंटर का प्रयोग करके भी जप करते हैं । जिसमें माला को ज्यादा अच्छा
माना जाता है ।
सामान्यतया ऐसा होता
है जब माला हाथ में होती है अथवा काउंटर हाथ में होता है तभी जप होता है । और कई
लोग एक निश्चित लक्ष्य अर्थात एक निश्चित संख्या पूरा करने के लिए जप करते हैं । जब
तक जापक इस स्थिति में रहता है तब तक नाम की पूरी तरह प्रतिष्ठा नहीं होती है ।
कई लोग एक दिन में दो लाख तक राम नाम का जप करते हैं । इतनी जप
संख्या पूरी करने को असंभव मानना अथवा गलत बताना सही नहीं है । क्योंकि इतनी जप
संख्या लगभग चौदह घंटे में पूरी की जा सकती है । समय थोड़ा बढ़ अथवा घट भी सकता है ।
लेकिन यदि कोई चाहे तो इस लक्ष्य को पूरा कर सकता है । यह असंभव जैसी कोई चीज नहीं
है ।
यहाँ पर मुख्य बात
भगवन्नाम की प्रतिष्ठा से है । जापक के भीतर भगवन्नाम की प्रतिष्ठता से है ।
वह स्थिति जब जापक को
जप करना नहीं पड़ता है, जप जापक के भीतर होता रहता है, चलता रहता है । इस स्थिति
में लक्ष्य छूट जाता है, माला छूट जाती है और काउंटर छूट जाता है । यह भगवन्नाम के
प्रतिष्ठा की अवस्था है । जब ऐसी स्थिति आ
जाय तब समझना चाहिए की भगवन्नाम की प्रतिष्ठा हो गई है । इस स्थिति में कुछ विरले
लोग ही पहुँचते हैं ।
।। जय श्रीराम ।।
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