हनुमानजी द्वारा रामेश्वरम में की गई भगवान श्रीराम की स्तुति पहले पोस्ट की जा चुकी है श्रीराम स्तुति । यहाँ हनुमानजी द्वारा रामेश्वरम में की गई माता सीता की स्तुति दी जा रही है ।
करुनानानिधन भगवान श्रीरामचंद्र जी की स्तुति करके वायुपुत्र
हनुमानजी भक्तियुक्त चित्त से माता सीता की स्तुति करते हुए बोले- जनकनन्दिनी !
(मैं) आपको नमस्कार करता हूँ । आप सब पापों का नाश तथा दारिद्रय का संहार करने
वाली हैं ।
भक्तों को अभीष्ट
वस्तु देने वाली भी आप ही हैं । राघवेन्द्र श्रीराम को आनंद प्रदान करनेवाली
विदेहराज जनक की लाडिली श्रीकिशोरी जी को मैं प्रणाम करता हूँ । आप पृथ्वी की
कन्या और विद्या स्वरूप हैं । कल्याणमयी प्रकृति भी आप ही हैं । रावण के ऐश्वर्य
का संहार तथा भक्तों के अभीष्ट का दान करने वाली सरस्वती रूपा भगवती सीता को मैं
नमस्कार करता हूँ ।
पतिव्रताओं में
अग्रगण्य आप श्रीजनकदुलारी को मैं प्रणाम करता हूँ । आप सबपर अनुग्रह करने वाली
समृद्धि, पापरहित और श्रीविष्णु प्रिया लक्ष्मी हैं । आपही आत्मविद्या, वेदत्रयी
तथा पार्वती स्वरूपा हैं, आपको मैं नमस्कार करता हूँ ।
आपही क्षीरसागर की कन्या
और चन्द्रमा की भगिनी कल्याणमयी महालक्ष्मी हैं जो भक्तों पर कृपा प्रसाद का
अनुग्रह करने के लिए सदा उत्सुक रहती हैं । आप सर्वांगसुन्दरी सीता को मैं प्रणाम
करता हूँ । आप धर्म का आश्रय और करुणामयी वेदमाता गायित्री हैं, आपको मैं प्रणाम
करता हूँ । आपका कमलवन में निवास है, आप ही हाथ में कमल धारण करने वाली तथा भगवान
विष्णु के वक्षः स्थल में निवास करने वाली लक्ष्मी हैं । चन्द्रमण्डल में भी आपका
निवास है, आप चन्द्रमुखी सीता देवी को मैं नमस्कार करता हूँ ।
आप श्रीराघुनन्दन की आह्लादमयी शक्ति हैं, कल्याणमयी सिद्धि
हैं और कल्याणकारिणी सती हैं । श्रीरामचंद्र जी की परम प्रियतमा जगदंबा जानकी को
मैं प्रणाम करता हूँ । सर्वांग सुन्दरी (माता) सीता का मैं अपने ह्रदय में सदैव
चिंतन करता हूँ ।
।। माता सीता की जय ।।
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