रामराज्य में केवल मनुष्य मात्र का ही नहीं प्राणीमात्र का कल्याण
होता है और सभी लोग सुखी और समपन्न होते हैं । दुख दरिद्रता आदि का अभाव होता है ।
इसलिए हर युग और हर काल में लोग रामराज्य के लिए लालायित रहते हैं ।
लेकिन यह बहुत कम लोग जानते
हैं कि रामराज्य लाने में गुरू वशिष्ठ की उचित शिक्षा और उपदेश का बड़ा योगदान था ।
यदि गुरू वशिष्ठ जी उचित शिक्षा और उचित उपदेश न देते तो राम राज्य कभी नहीं आता ।
इस रहस्य को सभी को जानना और समझना चाहिए ।
आजकल कलियुग में कई लोग
ऐसा उपदेश देते हैं कि गुरू की बात को एक ही बार में मान लेना चाहिए । अर्थात जो
गुरू ने कह दिया उसे मानना ही है । लोग ऐसा भी उपदेश देते हैं कि सारे शास्त्र एक तरफ और गुरू आज्ञा एक तरफ । यदि ऐसा
ही उपदेश गुरू वशिष्ठ भी देते तो रामराज्य कभी नहीं आता । लेकिन उस समय कलियुग
नहीं था तो ऐसा उपदेश नहीं दिया जाता था ।
गुरू वशिष्ठ ऐसा उपदेश नहीं
देते थे । स्वयं राम जी भी कहते थे कि मैं जो आपको बता रहा हूँ, आप से कह रहा हूँ वह अच्छी लगे आपको रुचे तो उसके अनुरूप कार्य कीजिए और उसमें यदि कोई बात नीति विरुद्ध हो तो मुझे बिना किसी भय के रोक दो, बता दो ।
लेकिन आजकल कलियुग है तो लोग शास्त्र को भी किनारे करने की बात करते हैं ।
वशिष्ठ जी ने भरत जी से
कहा कि राजा दशरथ ने अयोध्या का राज्य आपको दिया है । इसलिए आप राजा बनिये और
अयोध्या और प्रजा का पालन कीजिए । माता कौशल्या ने भी कहा कि बेटा भरत गुरू जी की
आज्ञा पथ्य है - ‘पूत पथ्य गुरु आयसु अहई’ । इसलिए इसका पालन कीजिए ।
सचिवों ने कहा कि जैसा गुरू जी कह रहे हैं आप अयोध्या का राज्य स्वीकार करके प्रजा
का पालन कीजिए । लेकिन भरत जी ने कहा कि भले ही कैकेयी ने यह राज्य वरदान में मेरे
लिए माँग लिया है । भले ही पिताजी ने अयोध्या का राज्य मुझे दिया है । लेकिन यह
राज्य भैया राम का है । और मैं राजा बनने में असमर्थ हूँ । मुझे रामजी के चरणों
में ही रहना है । मैं राजा बनने के लिए सर्वथा अयोग्य हूँ । मुझे रामजी के चरणों
का दर्शन करने के लिए जाने हेतु आज्ञा और आशिर्वाद चाहिए न कि राजा बनने की ।
अब यदि गुरू वशिष्ठ जी
कलियुग वाला उपदेश दिए होते कि गुरू की आज्ञा एक ही बार में मान लेना है और सारे
शास्त्र एक तरफ और गुरू आज्ञा एक तरफ तब तो भरत जी राजा बन जाते । और जब भरत राजा
बन जाते तो रामजी अपने प्रिय और छोटे भाई भरत जी के स्थान पर फिर कभी राजा नहीं
बनते ।
राम जी राजा नहीं बनते तो राम राज्य कभी नहीं आता । इस प्रकार गुरू
वशिष्ठ जी की शिक्षा और उचित उपदेश का राम राज्य लाने में महती भूमिका है । इसके
बिना राम राज्य नहीं आ सकता था ।
।। जय श्रीराम ।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें