महादेव भगवान शंकर जी की अतुलित महिमा है । शंकरजी भावी अर्थात होनी को भी बदल सकते हैं । कथा आती है कि मार्कंडेय ऋषि को केवल पाँच वर्ष की ही आयु मिली थी । लेकिन शंकर जी ने इस होनी को भी बदल दिया था । मार्कण्डेय ऋषि भगवान शंकर की कृपा से इतनी आयु प्राप्त कर लिए कि लगभग अमर हो गए ।
व्रह्माजी पार्बती माता से कहते हैं कि जिन लोगों
के भाग्य में मैंने सुख की निशानी भी नहीं लिखी थी ऐसे लोगों के लिए भी सुख के
साधन की व्यवस्था करते-करते मुझे नाको चने चबाने पड़ते हैं क्योंकि आपके पति भोले
शंकर औढरदानी जब देने पे आ जाते हैं तो किसी को भी कुछ भी दे डालते हैं । देने में
कुछ बिचार नहीं करते कि किसे और कितना देना है ।
गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि भगवान
शंकर माँगने वाले से कहते हैं कि देखो कम मत माँगना । इस लोक में
कोई सुखी हो और परलोक में भी उसे इंद्र के समान सम्मान मिले तो यही समझना चाहिए कि
जरूर इसने कभी न कभी शंकरजी को या तो मदार के चार पत्ते या धतूर के दो फूल अर्पण
कर दिए होंगे ।
इस
प्रकार शंकरजी थोड़े में ही बहुत कुछ दे देते हैं । जिसके भाग्य में कुछ नहीं है
उसको भी बहुत कुछ दे देते हैं । और तो और भावी को भी बदल देते हैं –
औढरदानि द्रवत पुनि थोरे । सकँइ न देखि दीन कर जोरे ।।
जो तप करइ कुमारि
तुम्हारी । भाविव मेटि सकँइ त्रिपुरारी ।।
संत और ग्रंथ बताते हैं कि जब शंकरजी किसी से विशेष प्रसन्न
हो जाते हैं तो उसे भगवान राम की भक्ति दे देते हैं । भगवान राम के चरणों में
प्रेम दे देते हैं । इसलिए अध्यात्मिक दृष्टि में शंकरजी का यह कहना कि थोड़ा मत
माँगना का मतलब है कि माँग ही रहा है तो राम जी के चरणों में प्रेम माँग ले ।
रामजी की भक्ति ही माँग ले-
जापर कृपा न करँइ पुरारी । सोउ न पाउ मुनि भगति हमारी ।।
बिनु छल विश्वनाथ पद नेहू
। राम भगत कर लच्छन ऐहू ।।
।। औढरदानी भगवान महादेव
की जय ।।
Good
जवाब देंहटाएंजय श्री राम,
जवाब देंहटाएंजय श्री महाकाल,
हर हर महादेव,
जय श्रीराम । महादेव भगवान शंकर की जय ।
जवाब देंहटाएंJai bhole Nath jai Sri Ram
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