महान भारत की महान संत परंपरा में गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज सदा अविस्मरणीय हैं और रहेंगे । गोस्वामीजी ने सनातन हिंदू समाज को जो रास्ता दिखाया है उस पर चलकर वह अपने देश-समाज का भला भी कर सकता है और साथ ही रामजी से जुड़कर अपना परम कल्याण भी कर सकता है ।
गोस्वामीजी लाखों लोगों के प्रेरणास्रोत हैं ।
साधारण जन से लेकर संतों तक सभी लोग गोस्वामी जी से प्रेरणा लेते हैं । आज इस कराल
कलिकाल में संत जन गोस्वामीजी की रहनी, दीनता, सरलता, भक्ति और वैराग्य से सीख लेकर
अपने साधना पथ पर मजबूती से चलते जाते हैं । धन्य हैं गोस्वामीजी जिनकी कृपा करुणा से
अनेकों लोग तर गए, अनेकों लोग भक्ति और भगवान को समझने और प्राप्त करने के पथ पर
अग्रसर हो सके और हो रहे हैं ।
गोस्वामीजी के सुंदर-सुंदर छंद, जो भक्ति, ज्ञान और वैराग्य से परिपूर्ण हैं,
भक्तों के लिए संबल का कार्य करते हैं । साधारण जन से लेकर साधु-संत की वाणी में गोस्वामी जी की उक्तियाँ, जो दोहे, सोरठे, अथवा
चौपाइयों के रूप में हैं, अनायास ही, बरबस ही आ जाते हैं । कोई भी कथा, प्रवचन और
सत्संगति की बात गोस्वामीजी के उक्तियों
के बिना परिपूर्ण नहीं होती ।
यदि तुलसीदासजी न होते, बारह ग्रंथ रत्न न दे जाते तो अब तक कलियुग और हावी हो जाता । कलियुग को यह पता था कि इस संत की वाणी, इस संत के ग्रंथ आगे भी लोगों के पथपदर्शक बने रहेंगे । और मुझे पाँव जमाने में मुश्किल होगी । इसलिए कलियुग गोस्वामीजी को परेशान किया करता था । वह चाहता था कि गोस्वामीजी अपने ग्रंथ लुप्त कर दें, गंगाजी में प्रवाहित कर दें । लेकिन गोस्वामीजी ने ऐसा नहीं किया । कलियुग को इस बात की पीड़ा थी कि यह बाबा स्वयं राम-राम जपता है और दूसरों से भी जपवाता है, जपने को कहता है । राम विमुख प्राणियों को राम सम्मुख कर रहा है । ऊपर से ग्रंथ पे ग्रंथ लिखे जा रहा है जो इसके परमधाम पधारने के बाद इसका काम करते रहेंगे-
गुरू तुलसीदास जो श्रीरामचरितमानस न गाते ।
परम मनोहर सहज कथा बिनु लोग अधिक भरमाते ।।१।।
भवसागर से तरने का सरल सुगम मारग न सुझाते ।
साधु सुजन जन प्रेरणादायक सुंदर उक्ति कहाँ पाते ।।२।।
बरबस ही लोंगो के मुख में पावन छंद कहाँ आते ।
सच में मानस न होती तो धरम-करम बहु मिट जाते ।।३।।
दीन संतोष हीन जन मोसे राम चरन नहि लगि पाते ।
मूढ़ मलीन बिबस कलिकाल जनम-जनम लगि फँसि जाते ।।४।।
।। गोस्वामी तुलसीदासदासजी महाराज की जय ।।
Jai Sri Ram jai tulsi das ki
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