सनातन धर्म में जितने भी देवी, देवता, भगवान और भगवान के अवतार
हैं उनमें सबसे अधिक चरण चिन्ह भगवान श्रीसीताराम के चरणों में हैं ।
इतना ही नहीं भगवान श्रीसीताराम के दोनों चरणों में सम चिन्ह
हैं । अर्थात दोनों चरणों में चिन्हों की संख्या बराबर है । भगवान श्रीकृष्ण के
चरणों में विषम चिन्ह हैं । अर्थात दोनों चरणों में चिन्हों की संख्या बराबर नहीं
है । भगवान श्रीकृष्ण के दाएँ चरण में ग्यारह और वाएँ में आठ चिन्ह कहे गए हैं ।
इसी तरह राधाजी के वाएँ चरण में ग्यारह और दाएँ चरण में आठ चिन्ह कहे गए हैं ।
भगवान श्रीराम के दाएँ चरण में जो चिन्ह हैं वे श्रीसीताजी के
वाएँ चरण में हैं । तथा जो चिन्ह भगवान श्रीराम के वाएँ चरण में हैं वे श्रीसीताजी
के दाएँ चरण में हैं ।
श्रीमहारामायण के अनुसार भगवान श्रीराम के दाएँ चरण में चौबीस
और वाएँ चरण में भी चौबीस अलग-अलग चिन्ह हैं । इस प्रकार भगवान श्रीराम के चरणों
में कुल अड़तालीस चिन्ह हैं । श्रीसीताजी के चरणों में कुल अड़तालीस चिन्ह हैं ।
वाएँ चरण में चौबीस और दाएँ चरण में चौबीस ।
भगवान के चरण चिन्हों का चिंतन और ध्यान का बहुत महत्व हैं ।
बड़े-बड़े संत और भक्त भगवान के चरण चिन्हों का चिंतन करते रहते हैं । कलियुग के हम
जैसे लोग बहुत आलसी और प्रमादी होते हैं । इसलिए इनके कल्याण के लिए गोस्वामी
तुलसीदास जी महाराज ने केवल चार चिन्हों पर ही बल दिया है ।
इसलिए जो अधिक नहीं कर सकते उन्हें अड़तालीस की जगह केवल
निम्नलिखित चार चिन्हों का चिंतन करते रहना चाहिए ।
१. कुलिश (वज्र) : इसके चिंतन से जन्म-जन्मांतर में किए हुए पाप जो पर्वत समूह के समान हैं उनका नाश होता है । और बल की बृद्धि होती है । इंद्र के वज्र की उत्पप्ति इसी वज्र चिन्ह से होती है ।
२.
ध्वजा: इसके चिंतन से विजय और यश-कीर्ति की
प्राप्ति होती है ।
३.
अंकुश
(वर्छी ): इसके
चितंन से मन रुपी मतवाले हाथी पर अंकुश लगता है । मनोमल का नाश होता है, ज्ञान में
वृद्धि होती है ।
४. कमल: इसके चिंतन से भगवद भक्ति की प्राप्ति होती है । यश बढ़ता है और मन में प्रसन्नता बनी रहती है । श्रीविष्णु कमल की उत्पप्ति इसी कमल चिन्ह से होती है ।
उपरोक्त चारों चिन्ह भगवान श्रीराम के
दक्षिण पद कमल में और माता सीता के वाएं पद कमल में स्थित हैं ।
श्रीसीतापति भगवान श्रीराम के चरणों
में अड़तालीस चिन्ह सदैव विराजमान रहते हैं । ये चिन्ह अमंगल का नाश करने
वाले और मंगल करने वाले हैं । भगवान श्रीराम के चरण चिन्ह संतों के, सज्जनों के
सदा सहायक हैं-
सीतापति पद नित बसत, एते मंगलदायका ।
चरण चिन्ह रघुवीर के, संतन सदा सहायका
।।
।। भगवान श्रीसीताराम के चरण चिन्हों की जय ।।
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