आज कल घोर कलियुग का समय है । और इसलिए शास्त्र विरुद्ध बाते
कहने वालों, बताने वालों की संख्या दिनों-दिन बढ़ रही है । लेकिन शास्त्र विरुद्ध
आचरण निषिद्ध है । इसलिए शास्त्र विरुद्ध बात यदि गुरू भी बताए तो या तो ऐसे गुरू
को छोड़ देना चाहिए अथवा उसके शास्त्र विरुद्ध बात को नहीं मानना चाहिए ।
कई लोग जो स्वयं गुरू
बन चुके हैं, और गुरू रूप में अपनी प्रसिद्ध चाहते हैं, अधिक से अधिक लोगों को
अपने से जोड़ना चाहते हैं, अपने मानने वालों की संख्या बढ़ाना चाहते हैं अथवा अपने को
पुजवाने, सम्मानित होने आदि की प्रबल इच्छा रखते है ऐसे लोग भी सारे शास्त्र एक
तरफ और गुरू आज्ञा एक तरह ऐसा बोलते और बताते रहते हैं । ऐसे लोगों से सावधान रहने
की जरूरत है ।
जैसे आजकल किसी देश को चलाने के लिए संबिधान होता है, किसी संस्था आदि को चलाने के लिए नियम होते हैं । ठीक ऐसे ही सनातन धर्म को बचाने के लिए, सनातन मर्यादा की रक्षा के लिए शास्त्र होते हैं । यहाँ एक बात ध्यान देने योग्य है कि देश का संबिधान और संस्था को चलाने के लिए नियम परिवर्तनीय होते हैं । लेकिन शास्त्र अपरिवर्तनीय हैं । शास्त्रों को कोई अपनी सुविधा के अनुसार अथवा मनमानी करने के लिए बदल भी नहीं सकता । क्योंकि ये त्रिकाल दृष्टा प्राचीन ऋषियों द्वारा रचित अथवा संरक्षित और अनुमोदित हैं ।
आजकल लोग कही सुनी बातों
में भी आ जाते हैं और दूसरी ओर जिसके प्रति जिस किसी की श्रद्धा होती है उसकी
बातों को वह अंतिम सत्य मान लेता है । लोग जिसे बड़ा गुरू अथवा साधु-संत समझते हैं
उसकी बात को भी आसानी से मान लेते हैं । लेकिन शास्त्र विरुद्ध बात बताने वाला
चाहे गुरू हो, चाहे साधु-संत हो तो उनकी बातों को आँख मूँदकर मानना उचित नहीं होता
। क्योंकि संतान धर्म में शाश्त्र ही सर्वोपरि हैं ।
आजकल कई लोग वीडियों वीर भी होते हैं । रोज विडियों के माध्यम से भी लोगों को उपदेश देते रहते हैं । अच्छी-अच्छी, बड़ी-बड़ी बातें बताते हैं तो लोग प्रभावित हो जाते हैं । ऐसे लोग भी शास्त्र विरुद्ध बातें बताएँ तो भी उनकी ऐसी बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए ।
इस प्रकार कोई भी यदि
ऐसा बोलता अथवा बताता है कि सारे शास्त्र एक तरफ और गुरू आज्ञा एक तरफ तो उसकी इस बात
को नहीं मानना चाहिए । और ऐसे लोगों से सावधान रहने की भी जरूरत होती है । क्योंकि
सनातन धर्म में शास्त्र ही सर्वोपरि हैं और शास्त्र ही प्रमाण हैं ।
।। जय श्रीराम ।।
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