भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण एक ही हैं । और भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण में कोई भेद नहीं है । फिर भी अज्ञानता बस कुछ लोग भेद करते हैं और लोगों को गुमराह करते हैं ।
भगवान श्रीराम का अवतार पहले
हुआ था और भगवान श्रीकृष्ण का अवतार बाद में हुआ था । इसलिए अवतार काल की दृष्टि
से भगवान श्रीराम भगवान श्रीकृष्ण के पूर्ववर्ती हुए ।
एक बार जब अर्जुन जी ने
भगवान श्रीकृष्ण से सहज कल्याण का उपदेश देने को कहा तब भगवान श्रीकृष्ण ने राम
नाम की बड़ी अद्भुत महिमा गाई । और राम नाम जपने से सहज कल्याण हो जाता है ऐसा
उपदेश दिया ।
भगवान श्रीकृष्ण भी तीर्थ
यात्रा करते थे । कहा जाता है कि अयोध्या जी में कनक भवन में विराजित भगवान श्रीराम
की एक प्रतिमा भगवान श्रीकृष्ण द्वारा स्थापित है ।
श्रीरामेश्वरम तीर्थ में
धनुषकोटि जो भगवान श्रीराम से सम्बंधित है, एक प्रमुख तीर्थ के रूप में प्रसिद्ध
है । यहाँ पर स्नान करने का बड़ा महत्व है । भगवान श्रीकृष्ण भी धनुषकोटि में स्नान
करने के लिए गए थे ।
भगवान को कोई पाप
स्पर्श नहीं करता है । फिर भी एक राक्षस के वध के उपरांत पाप के निवृत्ति के लिए
भगवान श्रीकृष्ण ने सुदूर दक्षिण में जाकर भगवान श्रीराम के तीर्थ धनुषकोटि में
स्नान किया था ।
केरल राज्य के त्रिशूर जनपद
में भगवान श्रीराम की एक बहुत प्राचीन और भव्य मंदिर है । ऐसी मान्यता है कि मंदिर
में विराजित विग्रह द्वापर में द्वारका जी में विराजित और भगवान श्रीकृष्ण द्वारा
पूजित है । इस विग्रह का पूजन भगवान श्रीकृष्ण जी द्वारकाजी में करते थे । भगवान
श्रीकृष्ण के स्वाधाम गमन के बाद समुद्र ने द्वारिका जी में प्रवेश किया था । उस
समय यह विग्रह समुंद्र में आ गया था । कालान्तर में यह विग्रह एक नाविक को मिला और
एक राजा ने इस विग्रह को केरल राज्य के त्रिशूर जनपद में स्थापित किया ।
कहा जाता है कि आज भी द्वारिकाधीश भगवान द्वारकाजी में श्रीराम जय
राम जय जय राम का कीर्तन सुनकर ही शयन करते हैं ।
इस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण का भी श्रीराम नाम और भगवान श्रीराम में
अनुराग था । भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण एक ही हैं उनमें भेद नहीं है ।
।। जय श्रीराम ।।
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