भगवान श्रीराम कई बातों में अनूठे हैं । साधु-सदग्रंथ तो कहते हैं कि भगवान श्रीराम निरुपम हैं । अर्थात भगवान राम की कोई उपमा नहीं है । किसी से रामजी की उपमा नहीं की जा सकती है । राम जी के सामने जैसे कोई युद्ध में नहीं ठहरता ठीक वैसे ही रूप, गुण, स्वभाव, प्रभाव और भक्तवत्सलता आदि में भी कोई नहीं ठहरता- ‘निरुपम न उपमा आन राम समान राम निगम कहैं’ ।
भगवान के सभी रूप-अवतार एक हैं । फिर भी रूप, लीला और गुण में थोड़ी भिन्नता तो रहती है । भक्तवत्सलता भगवान का परम गुण है । भगवान के सभी अवतार भक्तवत्सल हैं । लेकिन भगवान श्रीराम इस बात में भी अनूठे हैं । और भगवान श्रीराम के आगे भक्तवत्सलता में कोई नहीं ठहरता ।
भगवान श्रीराम ऐसे भगवान हैं जो अपने भक्तों के बीच पृथ्वी पर सबसे
अधिक समय तक प्रत्यक्ष रहे ।
जब भगवान वाराह बनकर आए तो
थोड़े समय में ही लीला समाप्त करके चले गए । इसी तरह नरसिंह रूप में भी थोड़े समय
में लीला समाप्त करके चले गए ।
जब भगवान श्रीकृष्ण बनकर आए
तो भी बहुत कम समय में ही लीला समाप्त करके चले गए । मथुरा से लेकर वृंदावन,
द्वारका आदि की समस्त लीला भगवान श्रीकृष्ण केवल एक सौ पच्चीस वर्ष में ही पूरी
करके चले गए ।
लेकिन भगवान राम को कोई
जल्दी नहीं थी । भगवान श्रीराम ने अपने भक्तों को बहुत समय दिया । भगवान श्रीराम
पृथ्वी पर प्रत्यक्ष अनेकों वर्षों तक रहे ।
ग्रंथों के अनुसार भगवान श्रीराम अपने भक्तों के
बीच पृथ्वी पर प्रत्यक्ष सौ-दो सौ वर्ष नहीं बल्कि ग्यारह हजार वर्ष तक लीला करते
रहे ।
इस प्रकार भगवान श्रीराम अपने भक्तों के बीच पृथ्वी पर अधिक समय तक
रहने में भी अनूठे हैं । यह बात तो सभी जानते ही हैं कि रामजी प्रत्यक्ष लीला
समाप्त करके गए भी तो अपने भक्तों को साथ लेकर गए । भक्तों को छोड़कर नहीं गए । और
तो और पशु-पक्षी आदि को भी अपने साथ अपने धाम ले गए । ऐसी भक्तवत्सलता न देखने में
आती है, न सुनने में और न ही रामजी के अतिरिक्त किसी और के लिए ग्रंथों में वर्णित
ही है ।
इससे पता चलता है कि भगवान राम अपने भक्तों से कितना प्रेम करते हैं
। भगवान राम कितने भक्तवत्सल हैं । धन्य हैं रामजी । इसीसे संत,
सदग्रंथ और भक्त कहते हैं कि- मेरे राम जैसा कोई नहीं ।
लंका में राम-रावण युद्ध में
जो वानर-भालू मारे गए थे उनको भी राम जी ने जीवन दान दिया । रामजी के अतिरिक्त
और किसी ने भी ऐसा नहीं किया । यह रामजी की परम कृपालुता, भक्तवत्सलता और कृतज्ञता
का ही उदाहरण है ।
भगवान के सभी अवतार भक्त वत्सल हैं । लेकिन उपरोक्त बातों से स्पष्ट
है कि भक्तवत्सलता में भी राम जी अनूठे हैं । भक्तवत्सलता में भी कोई भी रामजी के
आगे नहीं ठहरता ।
।। भक्तवत्सल भगवान श्रीराम की जय ।।
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