जो लोग भक्ति-भाव से भगवान का भजन करते हैं वे लोग चाहे स्त्री, पुरुष, नपुंसक आदि कोई भी क्यों न हो संसार-बंधन से मुक्त हो जाते हैं । भगवान श्रीराम अपने भक्तों से बहुत प्रेम करते हैं और उनका बहुत ख्याल रखते हैं ।
भगवान श्रीराम कहते हैं कि मेरे भक्तों का कभी विनाश नहीं होता । और
भक्तों के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं । भगवान राम ने ऐसी प्रतिज्ञा कर रक्खी है कि
मेरे भक्त का नाश नहीं होता ।
भगवान श्रीराम कहते हैं कि जो मूढ़ मेरे भक्त की निंदा करता है, वह
मुझ देवादिदेव भगवान की ही निंदा में रत है ।
भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण मूलतः एक ही हैं । लीला की दृष्टि में थोड़ा भेद दिखता है क्योंकि जिस समय जैसी लीला की जरूरत होती है भगवान वैसी ही लीला करते हैं । इसी तरह जिस समय जैसे रूप की जरूरत होती है भगवान वैसा ही रूप बना लेते हैं । इस कारण से रूप और लीला भिन्न होती है लेकिन भगवान मूलतः एक ही हैं ।
भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन
जी से गीताजी में कहा कि हे अर्जुन तुम प्रतिज्ञा करो कि मेरे भक्त का विनाश नहीं होता है । तब
अर्जुन जी ने ऐसी प्रतिज्ञा की । द्वापर में भगवान अपनी प्रतिज्ञा तोड़ भी देते थे
लेकिन अपने भक्त की प्रतिज्ञा की रक्षा करते थे । इसलिए भगवान ने अर्जुन जी से यह प्रतिज्ञा
कराई थी कि मेरे भक्तों का नाश नहीं होता है ।
इस प्रकार भगवान के भक्तों का कभी विनाश नहीं होता है-
न मद्भक्ता विनश्यन्ते मद्भक्ता वीतकल्मषः ।
आदावेत्तप्रतिज्ञातं न में भक्ताः प्रणश्यति ।।
- श्रीराम गीता (अद्भुत रामायण)
अर्थात मेरे भक्तों का कभी विनाश नहीं होता । मेरे भक्तों के
सारे पाप नष्ट हो जाते हैं । मैंने पहले से ही यह प्रतिज्ञा कर रक्खी है कि मेरे भक्त
का नाश नहीं होता ।
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