एक बार एक संत से बात हो रही थी । प्रसंगवश मैंने बताया कि भगवान केवल श्याम ही नहीं हैं वे गोरे भी हैं । उन्होंने कहा कि आजतक मुझे नहीं पता था कि भगवान गोरे भी हैं ।
मैंने कहा कि जब भगवान मिथिला गए तो विवाह के समय
सीताजी की सहेलियाँ विनोद में कहने लगी कि हमारी किशोरीजी तो कितनी गोरी हैं और
दूल्हा सरकार तो काले-काले हैं । तब भगवान वहाँ जनकपुर में गोरे राम बन गए ।
मैंने
आगे बताया कि अयोध्याजी में काले राम जी का प्रसिद्ध मंदिर है । कालेरामजी का
मंदिर प्रसिद्ध नागेश्वर नाथ मंदिर के पास ही है । और काले राम मंदिर के पास ही
गोरे रामजी का भी मंदिर है ।
मैंने बताया कि पंचवटी में भी काले राम जी का बड़ा
भव्य मंदिर है । भगवान श्रीराम के बड़े मंदिरों में से यह एक बड़ा भव्य मंदिर है ।
इसमें चारों तरफ दरवाजे हैं । और पंचवटी में गोरे रामजी का भी मंदिर है ।
भगवान तो
अपने भक्तों की भावना के अनुरूप अपना रूप बना लेते हैं । जिसे जो अनुभव में आता है
वह वही बताता है । कोई भगवान को नीले जलद के समान श्याम बताता है-‘नील जलदाभ
तनु श्याम राम राजीव लोचन कृपाला’ ।
इसी
तरह कोई रामजी को नीलमणि के समान श्याम बताता है तो कोई दूर्वा दल के समान श्याम
बताता है । तो कोई असती (अलसी) के फूल जैसा श्याम बताता है । आदि । लेकिन भगवान
श्याम ही नहीं हैं । भगवान गोरे भी हैं ।
संत जी ने
कहा कि क्या बिडम्बना है कि अभी तक मैं एक बार भी अयोध्या जी नहीं गया हूँ । मैंने
कहा कि कोई बिडम्बना नहीं है । क्योंकि गोस्वामी जी ने स्पष्ट कहा है कि –
अवध प्रभाव जान तब प्रानी ।
जब उर बसहिं राम धनु पानी ।।
इस प्रकार भगवान गोरे भी हैं और अयोध्याजी की
महिमा आसानी से सबके समझ में नहीं आती है ।
।। गोरे रामजी की जय ।।
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